परिचय :- यह फल देने वाला वृक्ष है। यह करीब 20 फीट से 25 फीट तक लंबा पौधा होता है। यह एशिया के अलावा यूरोप और अफ्रीका में भी पाया जाता है। हिमालयी क्षेत्र और प्रायद्वीप भारत में आंवले के पौधे बहुतायत में मिलते हैं। इसके फल सामान्य रूप से छोटे होते हैं। लेकिन प्रसंस्कृत पौधे में थोड़े बड़े फल लगते हैं। इसके फल हरे, चिकने और गूदेदार होते हैं।संस्कृत में इसे अमृता, अमृतफल, आमलकी, आयुवर्द्धक, कल्याणकारी, श्रीफल, अमृतफल, पंचरसा आदि नामों से जानते हैं। यह समस्त भारत में जंगलों तथा बाग के बगीचों में होता है। भारत में वाराणसी का आंवला सबसे अच्छा माना जाता है। यह वृक्ष कार्तिक माह में लगता है। आयुर्वेद में आंवले का सर्वाधिक महत्व है। मान्यता है कि अगर आंवले के पेड़ के नीचे भोजन पकाकर खाया जाये तो सारे रोग दूर हो जाते हैं। दिमागी मेहनत करने वाले व्यक्तियों को वर्षभर नियमित रूप से किसी भी विधि से आंवले का सेवन करना चाहिये। आंवले का नियमित सेवन करने से दिमाग में तरावट और शक्ति मिलती है।
कैसे हुई आंवला की उत्पत्ति :- मान्यता के अनुसार जब पूरी पृथ्वी जलमग्न थी और इस पर जिंदगी नहीं थी, तब ब्रम्हा जी कमल पुष्प में बैठकर परब्रम्हा की तपस्या कर रहे थे। वह अपनी कठिन तपस्या में लीन थे। तपस्या के करते-करते ब्रम्हा जी की आंखों से ईश-प्रेम के अनुराग के आंसू टपकने लगे थे। ब्रम्हा जी के इन्हीं आंसूओं से आंवला का पेड़ उत्पन्न हुआ, जिससे इस चमत्कारी औषधीय फल की प्राप्ति हुई। इस तरह आंवला वृक्ष सृष्टि में आया ।
आंवले का औषधीय महत्व :- आँवले से हम सभी परिचित हैं और अधिकांश इसके औषधीय महत्व को भी जानते हैं। घरों में आंवले का अचार और मुरब्बा बड़े शौक से तैयार किया जाता है और इसका सेवन भी सेहत बनाने वाला होता है। आयुर्वेद से लेकर आधुनिक विज्ञाण भी आंवले के औषधीय गुणों का लोहा मानता आया है। हमारे धर्म में हर उस वृक्ष को जिसमें बहुत अधिक औषधीय गुण हों, उनकी किसी विशेष तिथि पर पूजे जाने की परंपरा बनाई गई है। आंवला नवमी की परंपरा भी इसी का हिस्सा है। हम आंवले के महत्व को समझें व उसका संरक्षण करें। इसी भावना के साथ आंवला नवमी का त्योहार मनाने की परंपरा बनाई गई है। कार्तिक माह में आंवले के गुण चरम पर रहते हैं। आंवले के पेड़ से ऊर्जा निकलती है। इस पेड़े की छाया में एंटीवायरस गुण होता है। जिससे हर तरह के रोगाणुओं से मुक्ति मिलती है। इसकी छाया में बैठने और भोजन करने से जीवनी शक्ति बढ़ती है। आंवले के पेड़ की छाल से भी कई तरह की बीमारियां दूर होती हैं। इसलिए इस पेड़ को छूना, पूजा करना और इसकी छाया में भोजन करने की परंपरा बनाई गई है।
पद्म पुराण में बताया गया है कि यह पवित्र फल भगवान श्री विष्णु को प्रसन्न करने वाला व शुभ माना गया है। इसके भक्षण मात्र से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाते हैं। आंवला खाने से आयु बढ़ती है। इस फल का रस पीने से धर्म-संचय होता है। आंवले के जल से स्नान करने से दरित्रता दूर होती है तथा सब प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं। आंवले का दर्शन, स्पर्श तथा उसके नाम का उच्चारण करने से वरदायक भगवान श्री विष्णु अनुकूल हो जाते हैं। जहां आंवले का फल मौजूद होता है, वहां भगवान श्री विष्णु सदा विराजमान रहते हैं। तथा उस घर में ब्रह्मा एवं सुस्थिर लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए अपने घर में आंवला अवश्य रखना चाहिए।
आंवले के औषधीय गुण :- यह त्रिदोष नाशक है। आंवले के उपयोग से वात, पित, कफ त्रिदोष का नाश होता है । यह हृदय को बल देने वाला है। यह मूत्रल, रक्त शोधक व रुचिकर होने से आँवला प्रमेह, अतिसार, दाह, कामला, अम्लपित्त, रक्तपित्त, वात रक्त, बवासीर, अजीर्ण, अरूचि, खांसी, साँस की बीमारी को नष्ट करता है। ये आंखों के लिए हितकारी, अग्निदीपक है। आँवल थोड़ा मधुर, तिक्त, कटु रस, शुक्र वर्धक है । आंवले के उपयोग से रक्तवाहिनियां बुढ़ापे मे भी लचीली बनी रहती है । चेहरे की झुर्रिया दूर हो जाती है । मनुष्य बुढ़ापे मे भी नौजवानो की तरह चुस्त दुरुस्थ व ताकतवर बना रहता है। आयुर्वेद में आंवले का सर्वाधिक महत्व है। चरक के मतानुसार आंवला शारीरिक अवनति को रोकने वाला, कल्याणकारी, वयस्था तथा धात्री (माता के समान रक्षा करने वाला) कहा गया है।
शरीर के विभिन्न हिस्सों को आंवला जूस से होने वाले लाभ
आंवला विटामिन सी का सबसे अच्छा स्रोत है आंवला जूस, शरीर में मौजूद तीनों दोष (वात, पित्त और कफ़) को बेहतर करता है। पोषक तत्वों का ये पावरहाउस माना जाता है। ये स्वाद में कसैला और हल्का कड़वा होता है।
- आंवले के रस से बवासीर ठीक हो जाता है।
- आंवले के रस का सेवन करने से वजन कम करने में सहायता मिलती है।
- मुंह के छाले होने पर आंवले की पत्तियों को चबाएं आराम मिल जाता है।
- आंवला स्वरस का सेवन करने से शरीर में रक्त का प्रवाह सुचारू रूप से होता है।
- आंवला जूस हमारे शरीर को कई तरह के संक्रमणों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है।
- आंवले का रस आंखों के लिए बहुत लाभकारी है। आंवला आंखों की ज्योति को बढ़ाता है।
- अगर हम नियमित रूप से आंवला जूस का सेवन करें तो हमारा श्वसन तंत्र मजबूत बनता है।
- एक औंस ताज़े आंवले का रस नित्य प्रातः खाली पेट एक हफ़्ते तक लें. पेट के कीड़े मर जाएंगे।
- आंवले का जूस दिल की बीमारियों को भी दूर भगाता है| इसका सेवन करने से हार्ट अटैक का खतरा घटता है।
- आंवले रस तीन भाग में एक भाग शहद मिलाकर सुबह-दोपहर-शाम को लें. पीलिया में आश्चर्यजनक लाभ होगा।
- खाना खाते समय यदि जीभ दांतों के बीच आ जाए और खून निकल आए तो तुरंत आंवले की पत्तियों को चबा लें।
- हड्डी टूटने पर आवश्यक उपचार के बाद नियमित रूप से आंवले का रस किसी फल के रस में मिलाकर लें. विशेष लाभ होगा.
- आंवले का जूस शारीरिक ही नहीं दिमागी क्षमता को भी बढाता है। यह आँखों की रौशनी बढ़ाने और आँखों को स्वस्थ बनाने में भी सहायक है।
- आंवले का जूस लिवर, ब्रेन, और फेफड़ों को मजबूत बनाता है। इसे पीने से पाचन की क्रिया अच्छी तरह होती है और शरीर में ठंडक भी बनी रहती है।
- बीस ग्राम आंवले के रस में एक पका हुआ केला मसलकर, उसमें 5 ग्राम शक्कर मिलाकर खाने से स्त्रियों का सोमरोग (बहुमूत्र रोग) दूर हो जाता है।
- आंवला जूस का सेवन करने से हमारा ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है| ब्लड प्रेशर के साथ-साथ यह जूस कोलेस्ट्रोल के स्तर को भी नियंत्रित रखने में सहायक है।
- आंवले के जूस का नियमित रूप से सेवन करने से भूख बढती है और खाना सही तरह पच जाता है। इसलिए वजन भी नियंत्रित होता है और शरीर उर्जावान बना रहता है।
- रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी होने पर, प्रतिदिन आंवले के रस का सेवन करना काफी लाभप्रद होता है। यह शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होता है, और खून की कमी नहीं होने देता।
- इसके सेवन से बाल जड़ से मजबूत होते हैं, चमकदार दिखते हैं, साथ-ही-साथ घने और काले भी बनते है। यह बालों को असमय सफ़ेद होने से बचाता है और जड़ो को पोषण देकर बालों को झड़ने से भी बचाता है।
- यदि नकसीर किसी प्रकार बंद न हो तो ताज़े आंवले का रस नाक में टपकाएं, नकसीर बंद हो जाएगी. जिन्हें अक्सर नकसीर की शिकायत रहती है, उन्हें नित्य आंवले का सेवन तथा सिर पर आंवले का लेप करना चाहिए।
- आंवला जूस के सेवन से हमारी त्वचा को बहुत अच्छा पोषण मिलता है। यह रक्त को शुद्ध करता है, इसलिए इसके सेवन से त्वचा हमेशा चमकती-दमकती रहती है। त्वचा को इतना अच्छा पोषण मिलता है कि हम अपनी असली उम्र से 10-15 साल कम तक भी दिखने लगते है।
शरीर के विभिन्न हिस्सों को आंवला चूर्ण से होने वाले लाभ
- आंवला पाउडर, शहद और दही को बराबर मात्रा में मिलाएं । चेहरे पर लगाकर सूखने दें. त्वचा में निखार आएगा।
- आंवला का पाउडर और शहद का सेवन करें या आवला के रस में मिश्री मिलाकर सेवन करने से उल्टियों का आना बंद हो जाता हैं।
- आंवला के सेवन से हड्डियाँ मजबूत और ताकत मिलती हैं जोरो के दर्द में भी राहत देता हैं। इए रोजाना आंवला चूर्ण खाने की आदत डालें।
- पित्त प्रकोप के कारण होने वाले रक्त स्राव मे आँवले चूर्ण 20 ग्राम एक ग्राम जीरा चूर्ण मिलाकर रात्रि मे भिगो कर सुबह सेवन करे। दिन मे दो बार सेवन करे।
- पथरी होने पर आमला का सेवन आपको फायदा दे सकते हैं। इसके लिए पथरी के रोगी को सूखे आंवला के चूर्ण को मूली के रस में मिलाकर कम से कम 40 दिन तक सेवन करना चाहिए।
- अगर किसी को नकसीर की तकलीफ हैं तो उन्हें आवला का सेवन करते रहना चाहिए। रोजाना एक चम्मच आंवला पाउडर को पानी में मिलाकर पीने से नाक से खून आने की आदत से आराम मिलता है।
- आंवले के चूर्ण 6 ग्राम चूर्ण रोज गाये के दूध के साथ खाने से मर्द का वीर्य अधिक शक्तिशाली बनता है। शरीर में शक्ति आ जाती है और रक्त शुद्धी होती है तथा सभी वीर्य विकार जैसे स्वप्नदोष ,शीघ्रपतन आदि का शमन होता है।
- खट्टे ढकार आना, गैस का बनाना, भोजन का न पचना, इत्यादि में 5 ग्राम आवला चूर्ण को पानी में भिगों कर सुबह शाम खाएं इससे अम्लीय पित्त के बुरे प्रभाव से छुटकारा मिलता हैं। कब्ज की शिकायत दूर होती हैं पेट हल्का रहता हैं।
- आंवले के फलों के चूर्ण और अश्वगंधा की जड़ों की समान मात्रा का सेवन प्रतिदिन कम से कम दिन में दो बार लेना बेहतर स्वास्थ्य के लिए एक टॉनिक की तरह माना जाता है। यह पौरूषत्व के लिए उत्तम है वहीं मधुमेह नियंत्रण में भी अच्छा होता है।
- महिलाओं में पीरियड्स संबन्धी पीरियड्स देर से आना, ज्यादा ब्लीडिंग होना, जल्दी जल्दी पीरियड्स आना, कम आना, पेट में दर्द का होने जैसी कई समस्यां होती रहती हैं। आप आंवला और खासकर चूर्ण का नियमित रूप से सेवन करना शुरू कर दें इससे आपको महावारी की समस्याओ से छुटकारा मिल जाएगा।
- आवला खून में सुगर की मात्रा को नियंत्रित करता हैं। क्रोमियम बीटा ब्लॉकर के प्रभाव को कम करता हैं, जो की ह्रदय के लिए अच्छा होता हैं ह्रदय को स्वस्थ बनाता हैं।आवला खराब कोलेस्ट्रोल को ख़त्म कर अच्छे कोलेस्ट्रोल को बनाने में मदद करता हैं। डायबिटिक आंवले को चूर्ण, जूस या किसी न किसी रूप में अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

- आंवले के पाउडर से बाल धोने या फिर इसका सेवन करने से बालों की समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
- झड़ते हुऐ बालों को रोकने के लिए आंवले के तेल से बालों की मालिश करें।
- आंवले के जूस सीधे बालों में लगाएं और आधे घंटे बाद बालों को पानी से धो लें।
- आंवले और हिना पाउडर को मिलाकर लगाने से सफेद बाल काले होने लगते हैं।
- आंवला, शिकाकाई, रीठा तीनो का क्वाथ बनाकर सिर धोने से बाल मुलायम लंम्बे व घने होते है।
- सूखे आँवले 50 ग्राम, बहेड़ा 10 ग्राम, लोह चूर्ण 10 ग्राम, आम की गुठली गिरी 30 ग्राम रात को कढ़ाई मे भिगो कर रखे, बालो पर रोज लेप करने से छोटी आयु मे हुए सफेद बाल कुछ दिनों मे काले हो जाते है ।
- डैंड्रफ/रूसी की समस्या :- एक चम्मच शिकाकाई, आंवला पाउडर और दही चाहें तो नींबू का रस भी मिला सकते हैं. का पेस्ट तैयार कर लें. आधे घंटे के लिए बालों पर लगाएं। डैंड्रफ/रूसी की समस्या से मुक्ति मिल सकती हैं।
- बालों को पतला और कमजोर होने से बचाने के लिए :- आंवले का तेल काफी लाभप्रद हो सकता है। इसके लिए नहाने से पहले हर रोज आंवले का तेल लगाने की आदत डाल लें। यह बेहतरीन कंडीशनर भी होता है और बालों को नैचुरल चमक प्रदान करता है।
- बाल बहुत ज्यादा झड़ते हैं तो :- दो चम्मच आंवले का पाउडर लें और इसमें आवश्यकतानुसार गर्म पानी डालकर पेस्ट बना लें। अब इसमें एक चम्मच शहद और दो चम्मच दही मिलाएं। इन सब चीजों को मिक्स कर के बालों की जड़ों में 30 मिनट तक लगा रहने दें और फिर गुनगुने पानी से बालों को धो लें। सप्ताह में एक बार इस का प्रयोग अवश्य करें।
- बालों को समय से पहले सफेद,खुजली और डैंड्रफ यानि रूसी की समस्या में :- अपनी हथेलियों में थोड़ा आंवले का तेल लें और बालों में लगाएं नियमित तौर पर ऐसा करने से दो मुंहे बालों की समस्या धीरे-धीरे कम होने लगती है। बालों को समय से पहले सफेद होने से बचाता है, बालों का विकास भी होता है और बालों के टूटने-फूटने की समस्या कम होती है।। आंवले का तेल सिर की त्वचा का रूखापन कम करता है। जिससे, खुजली और डैंड्रफ यानि रूसी की समस्या कम होती है।
कैसे बनाएं आंवले का तेल
- ताजे हरे आंवले से बीज निकालकर उसे मिक्सर में बिना पानी डाले ही पीस लें। अब आंवले को छानकर रस निकाल लें और एक कप नारियल का तेल लें।अब एक कडाही में नारियल के तेल और आंवले के जूस को मिलाकर उबालें। 10-15 मिनट के बाद जब पानी पूरी तरह से वाष्पित हो जाएगा तब पैन में भूरे रंग का पेस्ट बचा रह जाएगा। गैस बंद कर दें और इस पेस्ट को ठंडा होने के लिए रख दें। इस मिश्रण को छान लें और सुरक्षित रख लें। आप इसे बाल धोने के 20 मिनट पहले बालों में लगाएं इससे बालों में चमक आएगी।
- 10 चम्मच नारियल तेल में 2 चम्मच सूखे आंवले का पाउडर मिलाएं। इसे एक लोहे की कडाही में बहुत धीमी आंच पर गर्म करने के लिए रखें। इसे 5 मिनट के लिए पकाएं। जब तेल में बुलबुले उठने लगें तो आंच बंद कर दें। ठंडा होने पर इसे छान कर किसी बोतल में भर कर रख लें और इससे सिर की मालिश करें।
आंवला के औषधीय प्रयोग
मधुमेह नियंत्रण :- आंवले के सूखे फलों और पत्तियों की समान मात्रा (लगभग 4 ग्राम) ली जाए और इन्हें कुचल लें। इस मिश्रण में चुटकीभर हल्दी मिलाएं। इसे दिन में दो बार भोजन के बाद लिया जाए।
- आंवले के कच्चे फलों का रस (एक गिलास) तैयार कर इसमें करीब दो ग्राम हल्दी चूर्ण मिलाकर प्रतिदिन लेने से मधुमेह नियंत्रण में काफी फायदा पहुंचाता है। आधुनिक विज्ञान भी आंवले और हल्दी के मिश्रण को मधुमेह के लिए कारगर मानता है।
कोरोना के संक्रमण पर :- अब तो मूंग, आंवला, अदरक व गिलोय का उपयोग कर कोरोना के संक्रमण को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। आंवला बेहद गुणकारी है। यह बात छिपी नहीं है। हालांकि कोरोना काल में जब हमें बेहतर इम्युनिटी की जरूरत है, ऐसे में यह और भी उपयोगी हो जाता है। इम्युनिटी बढ़ाने के साथ यह कई बीमारियों की रामबाण औषधि है।
वमन (उल्टी) : – आंवला तथा अंगूर को पीसकर 20 ग्राम खांड, 20 ग्राम शहद और 100 ग्राम पानी मिलाकर कपड़े से छानकर पीना चाहिए।
- आंवले के 20 ग्राम रस में एक चम्मच मधु और 10 ग्राम सफेद चंदन का चूर्ण मिलाकर पिलाने से वमन (उल्टी) बंद होती है।
- आंवला और चंदन का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर आधा चम्मच चूर्ण दिन में 3 बार शहद के साथ चाटे।
कम शुक्राणुओं पर :- आंवले के फलों का रस (करीब 50 मिली) तैयार कर इसमें 5 ग्राम गाय का घी मिलाएं और प्रतिदिन रात सोने से पहले लें तो उन लोगों को काफी फायदा होता है जिन्हें वीर्य में कम शुक्राणुओं की शिकायत होती है।
शुक्रमेह : – धूप में सुखाए हुए गुठली रहित आंवले के 10 ग्राम चूर्ण में दुगनी मात्रा में मिश्री मिला लें। इसे 250 ग्राम तक ताजे जल के साथ 15 दिन तक लगातार सेवन करने से स्वप्नदोष (नाइटफॉल), शुक्रमेह आदि रोगों में निश्चित रूप से लाभ होता है।
- आंवला, हरड़, बहेड़ा, नागर-मोथा, दारू-हल्दी, देवदारू इन सबको समान मात्रा में लेकर इनका काढ़ा बनाकर 10-20 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम प्रमेह के रोगी को पिला दें।
- आंवला, गिलोय, नीम की छाल, परवल की पत्ती को बराबर-बराबर 50 ग्राम की मात्रा में लेकर आधा किलो पानी में रातभर भिगो दें। इसे सुबह उबालें, उबलते-उबलते जब यह चौथाई मात्रा में शेष बचे तो इसमें 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से पित्तज प्रमेह नष्ट होती है।
त्वचा के संक्रमण पर :- तिल के बीज, आँवला के फल, मुलेठी की जड़ तीनों के चूर्ण को और हल्दी की समान मात्रा (लगभग 2 ग्राम प्रत्येक) लेकर एक बाल्टी पानी में डाल दें और इस पानी से स्नान करें तो त्वचा के संक्रमण दूर हो जाते है।
रक्त विकार पर :- आँवला-अमलतास के गूदे की समान मात्रा मिलाकर 100 मिली पानी में उबालें और जब यह आधा बचे तो इसे छान लें और रक्त विकार से ग्रस्त रोगियों को देने पर आराम मिलता है।
मूत्र विकार पर :- मूत्र विकार से छुटकारा दिलाता है। मूत्र विकारों में आंवले का चूर्ण/ छाल का सेवन करें तो लाभ होता है।
आंवला और हल्दी 10-10 ग्राम लेकर काढ़ा बना कर पीने से मूत्र मार्ग और गुदा मार्ग की जलन शांत होती है और पेशाब साफ़ होता है.
बवासीर पर :- 5 से 8 ग्राम आंवले के चूर्ण का सेवन दही की मलाई के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करना चाहिए।
- सूखे आंवलों का चूर्ण 20 ग्राम लेकर 200 ग्राम पानी में मिलाकर मिट्टी के बर्तन में रात भर भिगोकर रखें। दूसरे दिन सुबह उसे हाथों से मलकर छान लें तथा छने हुए पानी में 5 ग्राम चिरचिटा की जड़ का चूर्ण और 20 ग्राम मिश्री मिलाकर पीयें। इसको पीने से बवासीर कुछ दिनों में ही ठीक हो जाती है और मस्से सूखकर गिर जाते हैं।
दस्त में :- सूखा आंवला तथा काला नमक समान भाग में लेकर चूर्ण बना लें। अजीर्ण से होनेवाले दस्त में आधा चम्मच चूर्ण दिन में तीन बार पानी के साथ सेवन करें। दस्त बंद हो जाएंगे।
संग्रहणी : – मेथी दाना के साथ इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर 10 से 20 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार पिलाने से संग्रहणी मिट जाती है।
आंवले के 20 ग्राम रस में इलायची का चूर्ण डालकर दिन में 2-3 बार पीने से मूत्रकृच्छ मिटता है।
बवासीर की शिकायत होने पर:- बवासीर की शिकायत होने पर आंवले का चूर्ण दही के साथ नियमित लेना चाहिए.
बहुत अच्छी जानकारी हमें गर्व है